शायरी शायरी
एक हवा का झोंका ऐसा आया हर स्वप्न को उसने तोड़ गिराया एक हवा का झोंका ऐसा आया हर स्वप्न को उसने तोड़ गिराया
हर बार चेहरा बदलकर मुझको पकड़ती रहीं। हर बार चेहरा बदलकर मुझको पकड़ती रहीं।
बस खुद को ढूंढ़ती एक आम सी नारी हूँ मैं। बस खुद को ढूंढ़ती एक आम सी नारी हूँ मैं।
हर जगह इस 'विश' को चाहे अंजान कर दे हर जगह इस 'विश' को चाहे अंजान कर दे
मन की बहती धारा को अंदर तक मानो हिला गया। मन की बहती धारा को अंदर तक मानो हिला गया।